स्टैच्यू ऑफ यूनिटी

essay on sardar vallabh bhai patel statue के लिए यहां से पढें।

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे प्रसिद्ध मूर्तियों में से एक है । यह प्रतिमा सरदार वल्लभ भाई पटेल की याद में बनाई गई है, जिन्हें भारत के एक महान नेता के रूप में देखा जाता था। सरदार सरोवर डैम पर स्थापित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की ऊँचाई 182 मीटर है, जो अमेरिका के न्यूयॉर्क के 93 मीटर ऊंची स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दोगुनी है। 

यह मूर्ति सरदार वल्लभ भाई पटेल की 138वीं जयंती पर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के नाम से स्थापित की गई। इसका कुल वजन 1700 टन है। पैर की ऊँचाई 80 फिट, हाथ की ऊँचाई 70 फिट, कंधे की उंचाई 140 और चेहरे की ऊंचाई 70 फिट है।

सरदार पटेल की मूर्ति बनाने में 2989 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इसके निर्माण में 200 इंजीनियर और 2500 मजदूर लगे थे और इनमें से ज्यादातर मजदूर और एक्सपर्टस चीन देश के थे।

सरदार पटेल की मूर्ति तक पहुंचने के लिए पुल और नाव (बोट) की व्यवस्था है। दो लिफ्ट लगी हैं जिनके माध्यम से इनकी छाती तक पहुंचा जा सकता है और वहाँ से सरदार सरोवर बांध का नजारा देखा जा सकता है एंव साथ ही खूबसूरत नदियों का आनंद भी लिया जा सकता है।

 इस मूर्ति को इंजीनियर्स ने चार चरणों मॉक अप, 3डी, स्कैनिंग तकनीक और कंप्यूटर न्यूमैरिकल कंट्रोल प्रॉडक्शन तकनीक के जरिए पूरा किया। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को इस तरह डिजाईन किया गया है कि यह 6.5 रिक्टर तीव्रता के भूकंप के झटकों को भी सह सकती है। 180 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलने वाली हवा में यह मूर्ति स्थिर रहेगी।

देश के गृहमंत्री रहे सरदार पटेल वल्लभ भाई पटेल की सबसे ऊंची मूर्ति गुजरात में बनाई गई है। नर्मदा जिले के सरदार सरोवर बांध के पास खड़ी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को 45 महीनों में 24,000 टन लोहे से बनाया गया है। यह प्रतिमा 20,000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। इस मूर्ति की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2013 में रखी थी, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे।

इस मूर्ति को बनाने में चार धातुओं का प्रयोग किया गया है, जिसमें वर्षों तक जंग नहीं लगेगा। 85 फीसदी तांबे का इस्तेमाल किया गया है, 5700 मीट्रिक टन स्ट्रक्चरल स्टील का इस्तेमाल किया गया है और 18500 मीट्रिक टन रिइनफोर्समेंट ब्रास का भी प्रयोग किया गया है तथा इसमें 22,500 मीट्रिक टन सीमेंट का भी प्रयोग हुआ है। इस मूर्ति के निर्माण में 44 महीनों का वक्त लगा है।

यह प्रतिमा देखने में जितनी खास है, उतनी ही खास इसकी बनावट है। यह एक तरह का कंपोजिट स्ट्रक्चर है। लौह पुरुष की मूर्ति के निर्माण में लाखों टन लोहा और तांबा लगा है।  इस मूर्ति के निर्माण में लोगों से लोह संग्रहण किया गया था। सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट भी बनाया गया था जिसकी नींव पीएम मोदी ने रखी थी।

इसे भी पढें : https://www.competitionindia.com/essay-on-mahatma-gandhi/

 

 हम उम्मीद करते हैं कि sardar vallabh bhai patel statue पर लेख आपको अवश्य ही पसंद आया होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!