ncert solutions history class 7 chapter 10

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CHAPTER- 10

अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन

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1.निम्नलिखित में मेल बैठाएँ :-

(क) सूबेदार               (i) एक राजस्व कृषक

(ख) फौजदार            (ii) उच्च अभिजात

(ग) इजारादार           (iii) प्रांतीय सूबेदार

(घ) मिस्ल                  (iv) मराठा कृषक योद्धा

(ड.) चौथ                   (v) एक मुगल सैन्य कमांडर

(च) कुनबी                 (vi) सिख योद्धाओं का समूह

(छ) उमरा                 (vii) मराठों द्वारा लगाया गया कर

उत्तर- (क)- (iii), (ख)- (v),(ग)- (i),(घ)- (vi), (ड.)- (vii), (च) (iv), (छ) (ii),

2. रिक्त स्थान की पूर्ति करें

(क) औरंगजेब ने …………..में एक लंबी लड़ाई लड़ी।

(ख) उमरा और जागीरदार मुग़ल………………… के शक्तिशाली अंग थे।

(ग) आसफजाह को …………………… में दक्कनकी सूबेदारी का कार्यभार सौंपा गया।

(घ) अवध राज्य का संस्थापक ……………………. था।

उत्तर-  (क) दक्कन, (ख) अभिजात वर्ग, (ग) 1724, (घ) सआदत खां ।

3. बताएँ सही या गलत –

(क) नादिरशाह ने बंगाल पर आक्रमण किया।

(ख) सवाई राजा जयसिंह इन्दौर का शासक था।

(ग) गुरु गोबिंद सिंह सिक्खों के दसवें गुरु थे।

(घ) पुणे अठारहवीं शताब्दी में मराठों की राजधानी बना।

उत्तर – (क) गलत, (ख) गलत, (ग) सही, (घ) सही

4. सआदत खान के पास कौन-से पद थे?

उत्तर- बुरहान-उल-मुल्क सआदत खान को 1722 ई० में अवध का सूबेदार नियुक्त किया गया था। मुगल साम्राज्य का विघटन होने पर जो राज्य बने, उनमें यह राज्य सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण राज्यों में से था। अवध एक समृद्धिशाली प्रदेशथा. जो गंगा नदी के उपजाऊ मैदान में फैला हुआ था और उत्तरी भारत तथा बंगाल के बीच व्यापार का मुख्य मार्ग उसी से होकर गुजरता था। इतने महत्त्वपूर्ण राज्य के संस्थापक सआदत खान के पास निम्नलिखित पद थे-

  1. सआदत खान ने अवध की सूबेदारी, दीवानी और फौजदारी एक साथ अपने हाथ में ले ली।
  2. सूबे की राजनीतिक, वित्तीय और सैनिक मामलों का एकमात्र कर्ताधर्ता बन गया।
  3. वह अवध का एक प्रकार से स्वतन्त्र शासक था जो राज्य या सूबे की लगभग सभी शक्तियों का स्वयं इस्तेमाल करता था।

5. अवध और बंगाल के नवाबों ने जागीरदारी प्रथा को हटाने की कोशिश क्यों की?

उत्तर- अवध और बंगाल के नवाबों ने निम्नलिखित कारणों से जागीरदारी प्रणाली को समाप्त करने की कोशिश की-

  1. वे मुगलों द्वारा आरम्भ की गई जागीरदारी प्रथा को संदेह की दृष्टि से देखते थे, इसलिए उनका इस प्रथा पर विश्वास नहीं था।
  2. अवध और बंगाल सूबों का कर प्राप्त करने के तरीके मुगलों से भिन्न थे।
  3. कर संग्रह के लिए इन दोनों राज्यों ने राजस्व वसूली के लिए इजारेदारों के साथ ठेके कर लिए थे। इसलिए उन्हेंमुगलकालीन जागीरदारों की आवश्यकता न थी।
  4. इजारेदारी प्रथा जो मुगलों को पसन्द न थी, उनके पतनके बाद सारे भारत में फैल गई थी।

उपरोक्त कारणों के कारण नए उदय हुए लगभग सभी राज्यों ने जागीरदारी प्रथा को समाप्त करना आरम्भ कर दिया तथा उसके स्थान पर इजारेदारी व्यवस्था को अपना लिया।

6. अठारहवीं शताब्दी में सिक्खों को किस प्रकार संगठित किया गया?

उत्तर- गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा ‘खालसा पंथ’ की स्थापना के साथ ही सिक्खों ने अपने-आपको सैनिक तथा राजनीतिक रूप से स्थापित करना आरम्भ कर दिया था। सिक्खों के संगठित होने की प्रक्रिया को निम्नलिखित प्रकार से समझा जा सकता है-

  1. गुरु गोबिन्द द्वारा 1699 ई० में खालसा पंथ की स्थापना के साथ सिक्खों का उदय शुरू हुआ।
  2. 1708 ई० में गुरु गोबिन्द की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी बन्दा बहादुर ने मुगलों के खिलाफ संघर्ष जारी रखा।
  3. सिक्ख शासन को सार्वभौमिक रूप देने के लिए ‘खालसा’ के अधीन सिक्के चलाए गए।
  4. ‘जत्थों’ और ‘मिस्लों’ के रूप में संगठित होने से सिक्ख शक्ति में वृद्धि होने लगी।
  5. ‘खालसा’ ने जत्थों और मिस्लों को मिलाकर की स्थापना की जो एक सैनिक दल था। खालसा दल
  6. रणजीत सिंह ने सभी मिस्लों को एक करके एक शक्तिशाली सिक्ख राज्य पंजाब का गठन किया।

7. मराठा शासक दक्कन के पार विस्तार क्यों करना चाहते थे?

उत्तर- मराठा शासक दक्कन के पार निम्नलिखित कारणों से विस्तार करना चाहते थे-

    1. दक्षिण में विजयनगर के पतन के बाद कोई शक्तिशाली राज्य न था, जो मराठा के विस्तार का विरोध कर सके।
    2. उनके उत्तर में शक्तिशाली मुगल साम्राज्य था, जिससे वह पार नहीं पा सकते थे। इसलिए उत्तर की ओर विस्तार किया नहीं जा सकता था।
    3. मराठे एक तरफ से मुगलों, दूसरी तरफ से निजाम (हैदराबाद) तथा तीसरी ओर से मैसूर से घिरे हुए थे, इसलिए उनके पास दक्कन की ओर विस्तार करने के अलावा कोई चारा न था।

8. आसफजहा ने अपनी स्थिति को मजबूत बनाने के लिए क्या-क्या नीतियाँ अपनाई?

उत्तर- निजाम-उल-मुल्क आसफजाह, जिसने हैदराबाद राज्य की स्थापना की थी; मुगल बादशाह फर्रूखसियर के दरबार का एक अत्यन्त शक्तिशाली सदस्य था। उसने हैदराबाद में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए निम्नलिखित कार्य किए-

  1. आसफजहा ने अपने राज्य की सुरक्षा के लिए सैनिकों का प्रबन्ध उत्तर भारत से किया था। उत्तर भारत के सैनिक भी दक्षिण भारत में नए अवसर पाकर प्रसन्न थे।
  2. उसने मुगलों के समान ही मनसबदार नियुक्त किए और उन्हें जागीरें प्रदान की।
  3. वह मुगल शासक के अधीन रहकर भी स्वतन्त्रतापूर्वक अपने राज्य का शासन करता रहा।
  4. अपने शासन के साथ मुगल शासक का नाम जुड़े होने से जनता ने भी उसको जल्दी स्वीकार कर लिया।
  5. उसने राजस्व एकत्रित करने के लिए इजारेदारी व्यवस्था को अपनाया।

9.क्या आपके विचार से आज महाजन और बैंकर उसी तरह का प्रभाव रखते हैं, जैसाकि वे 18वीं शताब्दी में रखा करते थे?

उत्तर- नहीं, बिल्कुल नहीं। 18 वीं शताब्दी के बैंकरों और महाजनों की स्थित आज के दौर में कमजोर हो गई है। इसके निम्नलिखित कारण हैं-

  1. उस काल में जनसाधारण के पास इनसे अतिरिक्त ऋण लेने का कोई साधन न था, जबकि आज अनेक सरकारी संस्थाए सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध करवाती हैं।
  2. उस काल में जनता के अशिक्षित होने के कारण झूठे दस्तावेजों से यह वर्ग उनका जमकर शोषण करता था परन्तु आज की जनता शिक्षित है।
  3. उस काल में शासक वर्ग प्रायः इस वर्ग का सहयोग करता था, जिसके कारण यह अपनी इच्छा की ब्याज दर पर ऋण देते थे। परन्तु आज कानूनों के माध्यम से ब्याज की दर का निर्धारण हो चुका है। उपरोक्त कारणों से स्पष्ट है कि आज के दौर में बैंकरों और महाजनों को वह स्थान प्राप्त नहीं है, जो उन्हें मध्यकाल में प्राप्त था।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

  1. गुरु गोबिन्द ने कहा था राज करेगा…………………..।
  2. खालसा ने ………………….. ई० में अपनासिक्का जारी किया।
  3. रणजीत सिंह ने ……………… ई० मेंलाहौर को अपनी राजधानी बनाया।
  4. शिवाजी का जन्म………………… ई० में हुआ था।
  5. महान मराठा राज्य का संस्थापक…………………. थे।
  6. मराठा राज्य में प्रधानमन्त्री को …………………. कहा जाता था।
  7. पानीपत की तीसरी लड़ाई …………… ई० में हुई थी।
  8. मुगल साम्राज्य का पतन………………कीमृत्यु के बाद शुरू हुआ।
  9. पुणे मराठा राज्य की …………………. था।
  10. चौथ और सरदेशमुखी………………. राज्य के कर थे।

उत्तर- (i) खालसा (ii) 1765 (iii) 1799 (iv) 1627 (v) शिवाजी (vi) पेशवा (vii) 1761 (viii) औरंगजेब (ix) राजधानी (x) मराठा।

सत्य/असत्य का चयन करें-

  1. 1765 ई० में ब्रिटिश सत्ता का भारत में प्रभाव कम होने लगा था।
  2. औरंगजेब की मृत्यु 1717 ई० में हुई थी।
  3. अहमदशाह अब्दाली ने मराठों को बुरी तरह से हराया था।
  4. 1679 ई० तक औरंगजेब दक्कन में उलझा था।
  5. राजस्व से सम्बन्धित मुकदमें दीवानी कहलाते थे।
  6. सैन्य प्रशासन से सम्बन्धित मुकदमों को फौजदारी कहा जाता था।
  7. मनसबदारी प्रथा मराठों की देन थी।
  8. मुगलों के समय प्रांत सूबेदारों के अधीन थे।
  9. नादिरशाह ने 1761 ई० में दिल्ली पर आक्रमण किया था।
  10. 1761 ई० में नादिरशाह की करारी हार हुई थी।

उत्तर- (i) असत्य (ii) असत्य (iii) सत्य (iv) सत्य (v) सत्य (vi) सत्य (vii) असत्य (viii) सत्य (ix) असत्य (x) असत्य।

 

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